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विपक्ष नहीं कर रहा पुरानी गलती, पहलगाम अटैक के बाद अपनाया संतुलित रुख
By Lokjeewan Daily - 25-04-2025

नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर पूरे देश में गुस्सा है। आम लोगों में एक बार फिर मोदी सरकार से आक्रामक जवाब की अपेक्षा है तो सरकार के सामने व्यवाहारिक चुनौतियां भी हैं। उधर, पूर्व के अनुभवों से सबक लेते हुए विपक्षी दल इस बार हमले के बाद संतुलित और तटस्थ रुख अपना रही है। सर्वदलीय बैठक में भी विपक्ष का ऐसा ही रुख झलका. बिहार के मधुबनी जिले में गुरुवार को जब जनसभा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकी हमले के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया तो उसमें कहीं न कहीं इसी अपेक्षाओं का जवाब देने की कोशिश की गयी। उन्होंने देश को भरोसा देने की कोशिश की जो उम्मीद रखी जा रही है उनकी सरकार उसपर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेगी।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नया राष्ट्रवाद उभरा था

अक्टूबर 2016 को भारत ने उड़ी हमले का बदला पाकिस्तान की सीमा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को नष्ट कर लिया। फिर 2019 में पुलवामा में आतंकी हमले का बदला बालाकोट एयर स्ट्राइक कर लिया। इन दोनों घटना ने भारत देश की सियासत में नए तरह के राष्ट्रवाद को जन्म दिया। 2019 का आम चुनाव तो पूरी तरह इसी इर्द-गिर्द रहा। घर में घुस कर मारा, यह एक नए भारत की पहचान देने की कोशिश की गयी।

फिर गलवान की घटना ने इस भावना को और बढ़ाया। इसका असर कई स्तर तक देखा गया। इन घटनाओं ने मोदी सरकार की छवि एक मजबूत नेतृत्व की बनायी और इसका बड़ा राजनीतिक लाभ भी मिला। ऐसे में इन अपेक्षाओं के दबाव के बीच सरकार पर एक बार फिर तीसरे टर्म के शुरूआत में ही उससे कुछ बड़ा करने का दबाव स्वाभाविक है। सरकार से जुड़े एक शीर्ष नेता ने कहा कि दबाव के बीच व्यावहारिक पहलुओं को भी देखा जा रहा है। युद्ध या युद्ध जैसे हालात के लिए हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है।
पूर्व में दोनों मौकों पर विपक्ष दलों ने अपने कुछ नेताओं के बयान के कारण राजनीतिक नुकसान झेला। बीजेपी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह भारत की सफलता से खुश नहीं है और सेना की बहादुरी पर शक कर रही है। इस नैरेटिव का नुकसान विपक्ष को हुआ। यही कारण है कि इस बार हमला के बाद विपक्ष ने अब तक सतर्क रूख अपनाया है। कांग्रेस ने सीडब्लूसी मीटिंग कर हमले के बाद सरकार को हर ऐक्शन पर अपना समर्थन देने का एलान किया। सूत्रों के अनुसार, तमाम दूसरे विपक्षी दलों ने अपने नेताओं को स्पष्ट रूप से चेताया कि वह कोई अनर्गल बयान नहीं दे।

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