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नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर इस समय संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि एजेंसी अपनी जांच आगे जारी रख सकती है। ईडी ने 9 अप्रैल को PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। यह मामला राउज एवेन्यू स्थित विशेष सांसद–विधायक अदालत में विचाराधीन है। कोर्ट ने फिलहाल चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया, जिससे आरोपियों को अस्थायी राहत मिली है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपियों की एक अन्य याचिका पर भी फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज की गई FIR की कॉपी सोनिया और राहुल गांधी को उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि FIR से संबंधित आवश्यक जानकारी आरोपियों को दी जा सकती है।
गौरतलब है कि नवंबर 2025 में ईडी ने PMLA की धारा 66(2) के तहत दिल्ली पुलिस को जानकारी साझा की थी। इसके आधार पर दिल्ली पुलिस की EOW ने 3 अक्टूबर 2025 को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ IPC की धाराओं 420, 406, 403 और 120-B के तहत नई FIR दर्ज की थी, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत वर्ष 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से हुई थी। यह मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़ा है, जो जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1938 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती थी। AJL पर भारी कर्ज होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे करीब 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण दिया था।
बाद में यह कर्ज यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक कंपनी को मात्र 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि इसके जरिए AJL की दिल्ली, मुंबई सहित देश के कई शहरों में मौजूद अरबों रुपये की संपत्तियां YIL के नियंत्रण में आ गईं। ईडी का दावा है कि यह पूरी प्रक्रिया एक साजिश के तहत की गई, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए सार्वजनिक संपत्तियों को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।
फिलहाल कोर्ट के इस फैसले से गांधी परिवार को अस्थायी राहत जरूर मिली है, लेकिन एजेंसियों की जांच जारी रहने से मामला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
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