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बढ़ते राजनैतिक तनाव के बीच दक्षिण सूडान एक दोराहे पर खड़ा है, जिससे नाज़ुक शान्ति समझौते के लिए ख़तरा उत्पन्न हो गया है. विश्व के सबसे युवा देश में गहराते मानवीय संकट के बीच फिर से हिंसक टकराव भड़कने का ख़तरा है. दक्षिण सूडान के लिए विशेष प्रतिनिधि निकोलस हेसम ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक में सदस्य देशों को सम्बोधित किया.उन्होंने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति सल्वा कीर और पूर्व प्रथम उपराष्ट्रपति रिएक मचार के बीच राजनैतिक तनातनी अब सीधे तौर पर सैन्य टकराव में तब्दील हो सकते हैं.इन दोनों नेताओं ने 2018 में अहम शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए थेअपर नाईल स्टेट में ‘साउथ सूडान पीपल्स डिफ़ेंस फ़ोर्स’ और व्हाईट आर्मी मिलिशिया नए सिरे से लामबन्द हो रही हैं, जिससे हालात उबाल पर हैं. बच्चों की सैनिकों के रूप में भर्ती की जा रही है और सरकार के अनुरोध पर युगांडा के सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.भ्रामक जानकारी, जानबूझकर फैलाई जाने वाली ग़लत जानकारी और हेट स्पीच से राजनैतिक व जातीय तनाव बढ़ा है.अतीत के वर्षों की यादविशेष प्रतिनिधि हेसम ने कहा कि मौजूदा हालात 2013 और 2016 के हिंसक टकरावों की याद दिलाते हैं, जिसमें चार लाख से अधिक लोग मारे गए थे.इसके मद्देनज़र, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दक्षिण सूडान को पूर्ण स्तर पर टकराव में लौटने से रोकना होगा, शान्ति समझौते को लागू करने के प्रयासों में तेज़ी लानी होगी और लोकतांत्रिक चुनावों की दिशा में क़दम बढ़ाए जाने होंगे.उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को सम्वाद के ज़रिये तनाव का समाधान ढूंढना होगा, भरोसे का निर्माण करना होगा और सर्वसहमति से निर्णय लेने होंगे. यह ज़रूरी है कि देश की फिर से युद्ध की ओर वापसी न हो.दक्षिण सूडान के रूपचाई राज्य में लोग हवाई जहाज़ से गिराया हुआ भोजन इकट्ठा कर रहे हैं. दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के प्रमुख निकोलस हेसम ने कहा कि सूडान में हालात आगाह करते हैं कि कोई देश कितनी जल्दी एक विनाशकारी टकराव की ओर बढ़ सकता है.“यह क्षेत्र एक और संकट का जोखिम मोल नहीं ले सकता है, जिससे पहले से ही नाज़ुक परिस्थितियों में और अस्थिरता बढ़े.”मानवीय संकट पर चिन्तामानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय में अभियान संचालन मामलों की निदेशक ऐडेम वोसोर्नू ने बताया कि दक्षिण सूडान में दुस्वप्न जैसे हालात उभर रहे हैं. पिछले आठ महीनों में देश में हालात बद से बदतर हुए हैं.देश की क़रीब तीन-चौथाई आबादी, 93 लाख से अधिक लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है, जिनमें क़रीब 50 फीसदी बच्चे हैं.फ़रवरी के बाद से, अपर नाईल प्रान्त में 1.3 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, और हज़ारों लोगों ने इथियोपिया में शरण ली है. हमलों व विध्वंस के कारण अस्पताल बन्द हो गए हैं और 77 लाख खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे हैं. UNMISS/Nektarios Markogiannis दक्षिण सूडान में अनेक देशों के शान्तिरक्षक, सहायता मुहैया करा रहे हैं. हिंसा के चक्र को तोड़ना होगायूएन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राहत प्रयासों के बावजूद, यह समझना होगा कि मानवीय सहायता, राजनैतिक इच्छाशक्ति का स्थान नहीं ले सकती है.इसके बजाय, राष्ट्रीय नेताओं, क्षेत्रीय स्तर पर गारंटी दे सकने वाले पक्षों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को तुरन्त, आपसी समन्वय से क़दम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हालात को और बिगड़ने से रोका जा सके.विशेष प्रतिनिधि निकोलस हेसम के अनुसार, न तो दक्षिण सूडान और न ही वृहद क्षेत्र, एक और युद्ध के ख़तरे का जोखिम मोल ले सकता है. इस हिंसा के चक्र को तोड़ने के लिए शान्ति समझौते का फ़्रेमवर्क ही एक अहम उपाय है.
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