It is recommended that you update your browser to the latest browser to view this page.
Please update to continue or install another browser.
Update Google Chromeब्रेकिंग न्यूज़
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में योगिनी एकादशी 21 जून, शनिवार को पड़ रही है। लेकिन इस बार योगिनी एकादशी पर भद्रा का साया भी रहेगा, जो कि कुछ विशेष कर्मों के लिए अशुभ माना गया है। इस लेख में जानिए पूजन का श्रेष्ठ समय, व्रत पारण की विधि और इस व्रत से मिलने वाले पुण्य फल के बारे में विस्तार से।
योगिनी एकादशी पर भद्रा का प्रभाव
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार योगिनी एकादशी पर भद्रा का काल सुबह 05:24 बजे से 07:18 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि भद्राकाल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य या शुभ अनुष्ठान नहीं किया जाना चाहिए। इसीलिए इस समयावधि में पूजा-पाठ से बचने की सलाह दी जाती है।
पूजन मुहूर्त और शुभ समय
योगिनी एकादशी पर पूजा-अर्चना के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं:
—ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:04 से 04:44 बजे तक
—अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:55 से दोपहर 12:51 बजे तक
—अमृत काल: दोपहर 01:12 से 02:41 बजे तक
इन समयों के बीच भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विधिवत पूजन करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
व्रत पारण का समय
जो श्रद्धालु योगिनी एकादशी का उपवास रखेंगे, उनके लिए व्रत पारण का मुहूर्त अगले दिन, यानी 22 जून 2025 को रहेगा।
व्रत पारण मुहूर्त: दोपहर 01:47 बजे से शाम 04:35 बजे तक
पारण के दौरान फलाहार या सात्विक भोजन करके व्रत का समापन किया जाता है। पारण से पहले स्नान कर भगवान विष्णु का स्मरण और अर्पण करना शुभ होता है।
व्रत का फल और महत्व
योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ प्राप्त होते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार, यह व्रत 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्यदायी है। इस व्रत के प्रभाव से:
—व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है
—पुराने पाप और जन्मों के दोषों से मुक्ति मिलती है
—मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
—रोग और मानसिक विकारों से राहत मिलती है
यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो स्वास्थ्य, धन और मानसिक शांति की कामना रखते हैं।
योगिनी एकादशी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और जीवन को सकारात्मक दिशा देने का अवसर है। इस बार भद्रा काल के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए पूजा और पारण सही समय पर करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सकता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह व्रत जीवन में शुभता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
राजस्थान सरकार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: 62 IAS अधिकारियों के तब . . .
2025-06-23 11:49:53
मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में ‘वंदे गंगा’ जल संरक्षण-जन अभियान न . . .
2025-06-23 11:48:48
राजस्थान वन विभाग में 100 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी जांच के घेरे . . .
2025-06-20 12:47:48
स्वच्छता को अपनी आदत बनायें : कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ . . .
2025-06-23 11:51:33
पहली मूसलाधार बारिश ने खोली प्रशासन के दावों की पोल . . .
2025-06-20 13:02:52
पुलिस कमिश्नरेट में पुलिसकर्मियों ने किया योगाभ्यास . . .
2025-06-20 12:45:50