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दुनिया में अनिश्चितता के बीच सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत
By Lokjeewan Daily - 16-05-2025

न्यूयॉर्क, वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय जोखिमपूर्ण स्थिति में है। अमेरिका की तरफ से शुल्क बढ़ाए जाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ा है। इससे उत्पादन लागत बढ़ी है और निवेश में अनिश्चितता आई है। वहीं संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस अनिश्चितता के बीच भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।संयुक्त राष्ट्र ने 2025 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है। जनवरी 2025 में यह अनुमान 6.6% था। हालांकि, इस गिरावट के बावजूद भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना गया है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट '2025 के मध्य तक विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं' में दी गई है, जिसे 16 मई को जारी किया गया।

भारत की ग्रोथ के प्रमुख कारण: खपत और सरकारी निवेश
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से मजबूत घरेलू खपत और सरकारी निवेश का समर्थन मिला है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र का निर्यात भी आर्थिक विकास को मजबूती देता रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया, 'भारत की आर्थिक वृद्धि को निजी उपभोग, सार्वजनिक निवेश और मजबूत सेवा निर्यात का समर्थन प्राप्त है।'

व्यापारिक तनाव और वैश्विक अनिश्चितता का असर
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस समय जोखिमपूर्ण स्थिति में है। अमेरिका की तरफ से शुल्क बढ़ाए जाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ा है। इससे उत्पादन लागत बढ़ी है और निवेश में अनिश्चितता आई है। भारत के माल निर्यात पर भी इसका असर हो सकता है, हालांकि दवा, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ऊर्जा और तांबा जैसे सेक्टर इस प्रभाव से फिलहाल बचे हुए हैं।

भारत में मुद्रास्फीति घटेगी, रोजगार स्थिर
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में महंगाई 2024 में 4.9% रहने के बाद 2025 में घटकर 4.3% हो सकती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे में है। इसके साथ ही, रोजगार के स्तर में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है, लेकिन महिला श्रम भागीदारी में असमानता बनी हुई है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
आरबीआई ने शुरू की मौद्रिक ढील
भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 में अपनी नीतिगत ब्याज दर घटाने की प्रक्रिया शुरू की। इससे पहले यह दर फरवरी 2023 से लगातार 6.5% पर स्थिर बनी हुई थी। दक्षिण एशिया के अन्य देशों जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी आर्थिक सुधार और आईएमएफ के समर्थन से वित्तीय अनुशासन को अपनाया जा रहा है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी
यूएन रिपोर्ट के अनुसार, विश्व आर्थिक विकास दर 2025 में घटकर 2.4% हो जाएगी, जो 2024 में 2.9% थी। यह जनवरी 2025 के अनुमान से 0.4% कम है। यह मंदी नहीं है, लेकिन अधिकांश देशों में विकास की गति धीमी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी शांतनु मुखर्जी ने कहा, अभी दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर दौर में है। निवेश में देरी और नीति संबंधी अनिश्चितता से हालात और बिगड़ रहे हैं।'
अन्य देशों की स्थिति भी कमजोर
अमेरिका की बढ़ोतरी 2024 के 2.8% से घटकर 2025 में 1.6% होने की संभावना है। चीन की बढ़ोतरी 2025 में 4.6% तक सीमित रह सकती है। ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसे विकासशील देशों की भी बढ़ोतरी दर में गिरावट आई है। यूएन रिपोर्ट ने चेतावनी दी कि विकासशील देशों और विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो सकती है, जिसे निर्यात से कम आमदनी, कर्ज का बोझ और घटती अंतरराष्ट्रीय सहायता उनकी विकास योजनाओं को प्रभावित कर सकती है। 2025 में कम विकसित देशों की विकास दर 4.5% से घटकर 4.1% रहने की संभावना है।
बहुपक्षीय सहयोग की जरूरत
रिपोर्ट में अंत में यह स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक व्यापार में बढ़ते तनाव और नीतिगत अनिश्चितता के बीच, बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना बेहद जरूरी है। 'विकासशील और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को लक्षित समर्थन देना और नियम-आधारित व्यापार प्रणाली को पुनर्जीवित करना स्थायी विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।'

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