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भीलवाड़ा लोकजीवन। शहर के वार्ड नंबर 26 में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओड़ो का खेड़ा आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। जहां एक ओर देश में शिक्षा के अधिकार और बेहतर बुनियादी ढांचे की बातें हो रही हैं, वहीं इस विद्यालय की बदहाली शिक्षा विभाग के तमाम दावों पर सवालिया निशान लगा रही है। विद्यालय की जर्जर इमारत, सुविधाओं का अभाव और एक अकेले शिक्षक के कंधों पर 108 बच्चों का भविष्य, ये सभी मिलकर एक ऐसी तस्वीर पेश करते हैं, जो दिल दहला देने वाली है। वद्यालय की वर्तमान स्थिति किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है। पूर्व पार्षद शंकर लाल जाट ने बताया कि विद्यालय में कुल पांच कक्षा-कक्ष हैं, जिनमें से तीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बारिश के दिनों में इन कमरों में पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को बैठने की जगह तक नहीं मिलती। कल्पना कीजिए, मासूम बच्चे ऐसे माहौल में ज्ञान कैसे अर्जित करेंगे, जहां उन्हें हर पल छत गिरने या पानी में भीगने का डर सताता हो। यह सिर्फ बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि उनके मानसिक विकास के लिए भी अत्यंत हानिकारक है।
शौचालय टूटे हुए, नहीं बना रहे नए
शौचालयों की स्थिति तो और भी दयनीय है। टूटे हुए शौचालय न केवल स्वच्छता के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि बच्चों और विशेषकर बच्चियों के लिए एक गंभीर समस्या पैदा कर रहे हैं। स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय किसी भी शैक्षणिक संस्थान की मूलभूत आवश्यकता होती है, जिसके अभाव में बच्चे स्कूल आने से भी कतरा सकते हैं। यह सीधे तौर पर बच्चों के नामांकन और उपस्थिति को प्रभावित करता है, और अंतत: शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
विद्यालय में सुरक्षा का भी अभाव
विद्यालय में सुरक्षा का भी घोर अभाव है। पूर्व पार्षद शंकर लाल जाट के अनुसार, रात के समय असामाजिक तत्वों का जमावड़ा विद्यालय परिसर में होता है। यह न केवल विद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि शिक्षकों और बच्चों के लिए भी असुरक्षा का माहौल बनाता है। यदि रात में ऐसे तत्व परिसर में प्रवेश करते हैं, तो दिन में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में बच्चे सुरक्षित महसूस करें, इसकी गारंटी कौन देगा?
108 बच्चों का भविष्य एक अकेले शिक्षक के भरोसेसबसे चिंताजनक बात यह है कि 108 बच्चों का भविष्य मात्र एक अकेले शिक्षक के भरोसे चल रहा है। एक शिक्षक के लिए विभिन्न कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाना, उनकी समस्याओं का समाधान करना और विद्यालय का प्रबंधन करना असंभव कार्य है। यह न केवल शिक्षक पर अत्यधिक बोझ डालता है, बल्कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से भी वंचित करता है। प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत ध्यान और पर्याप्त मार्गदर्शन मिलना चाहिए, जो एक अकेले शिक्षक के लिए संभव नहीं है।
शिक्षा विभाग को कराया कई बार अवगत
ग्रामीणों और पूर्व पार्षद शंकर लाल जाट ने बताया कि इस संबंध में शिक्षा विभाग को कई बार अवगत कराया गया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग इस गंभीर समस्या के प्रति संवेदनहीन बना हुआ है। पत्रों, ज्ञापनों और शिकायतों के बावजूद, यदि जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आता है, तो यह विभाग की घोर लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है। क्या शिक्षा विभाग सिर्फ कागजों पर ही योजनाएं बनाता है, या जमीनी हकीकत से भी वाकिफ है? राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओ?ो का खेड़ा की यह दुर्दशा भीलवाड़ा में शिक्षा व्यवस्था पर एक काला धब्बा है। यह केवल एक इमारत का मुद्दा नहीं, बल्कि उन 108 बच्चों के भविष्य का सवाल है जो बेहतर शिक्षा के हकदार हैं। शिक्षा विभाग को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप कर विद्यालय की मरम्मत, अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। क्या भीलवाड़ा का शिक्षा विभाग नींद से जागेगा और इन बच्चों को उनका उचित हक दिलाएगा?
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