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सिरोंज (अजमेर)। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक बार फिर भारतीय राजनीति की बदलती प्रकृति पर तीखा कटाक्ष किया है। उन्होंने रविवार को अजमेर जिले के सिरोंज गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में दिवंगत नेता प्रो. सांवरलाल जाट की मूर्ति के अनावरण के दौरान उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सियासत के बदलते चेहरे को कठघरे में खड़ा किया। वसुंधरा राजे ने कार्यक्रम के बाद अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर अपने दिल की बात साझा करते हुए लिखा—“मौसम और इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं। आजकल राजनीति में लोग नई दुनिया बसा लेते हैं, एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं। पर प्रो. सांवर लाल जाट ऐसे नहीं थे। वे मरते दम तक मेरे साथ थे।”
राजे ने इस दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरोंसिंह शेखावत, स्व. प्रो. सांवरलाल जाट और स्व. डॉ. दिगंबर सिंह को याद करते हुए कहा कि इन तीनों नेताओं के जाने से राजस्थान की राजनीति और व्यक्तिगत रूप से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है।
“ये तीनों नेता मेरी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। प्रो. जाट मेरे जैसे ही स्व. भैरोंसिंह शेखावत जी की राजनीतिक पाठशाला के छात्र थे।”
अनिच्छा से लड़ी थी लोकसभा की लड़ाई, पर जीते
वसुंधरा राजे ने खुलासा किया कि अजमेर से सांसद बनने के पीछे प्रो. जाट की व्यक्तिगत इच्छा नहीं थी। “अजमेर लोकसभा चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा नहीं थी, लेकिन अनुशासित सिपाही की तरह पार्टी का आदेश मानते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।”
उन्होंने यह भी याद किया कि यदि प्रो. जाट 2018 में जीवित होते, तो किसानों के लिए किए गए ऋण माफी जैसे कार्यों पर उन्हें बेहद संतोष होता।
बीसलपुर से लेकर चंबल तक था प्रो. जाट का सपना
राजे ने बताया कि अजमेर में बीसलपुर परियोजना का पानी पहुँचाने का श्रेय सीधे तौर पर प्रो. जाट को जाता है। “उनकी इच्छा थी कि चंबल बेसिन का पानी बीसलपुर बांध में डाला जाए। हमने 2018 में ERCP (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) की शुरुआत की थी, जिससे उनका सपना साकार हो सके।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं प्रो. जाट के निधन को भाजपा और राष्ट्र के लिए बड़ी क्षति करार दिया था।
रामस्वरूप लांबा को बताया उत्तराधिकारी
वसुंधरा राजे ने इस अवसर पर प्रो. जाट के पुत्र और वर्तमान विधायक रामस्वरूप लांबा की तारीफ करते हुए कहा कि वे अपने पिता की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं और क्षेत्र की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि रामस्वरूप लांबा प्रो. जाट की तरह पार्टी और जनता के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
राजनीति में मूल्य और विश्वास की बात
वसुंधरा राजे के इस बयान को विश्लेषक राजनीति के बदलते मूल्यों और वफादारी की कमी की ओर इशारा मान रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब राजे ने सार्वजनिक मंच से इस तरह की टिप्पणी की हो। बीते वर्षों में उन्होंने कई बार अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के भीतर और बाहर बदलती राजनीतिक चालों पर सवाल उठाए हैं।
राजे की पोस्ट में यह भाव विशेष रूप से गूंजता है:
“मौसम और इंसान कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं...”
यह पंक्ति आज की राजनीति में विश्वास और निष्ठा की गिरती हुई स्थिति का प्रतीक बन गई है। साथ ही, यह दिवंगत प्रो. सांवरलाल जाट जैसे नेताओं के समर्पण और ईमानदारी की विरासत को भी उजागर करती है।
राजनीति में ‘चेहरे पे कई चेहरे’, पर प्रो. सांवरलाल जाट ऐसे नहीं थ . . .
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